प्राणायाम: कथं सिद्ध:?
प्राणशक्ति तथा प्राणायाम की उपयोगिता प्राण ही मनुष्य के स्वास्थ्य एवं रूग्णता का कारण है। शरीर आधार है तथा प्राण उसकी शक्ति। मन एवं शरीर प्राण के बिना नहीं रह सकते। प्राण विद्या के द्वारा प्राणशक्ति को विभाजित कर शरीर के प्रत्येक केन्द्र में उपयुक्त रूप से भेजा जा सकता है। इस विद्या के द्वारा प्राणशक्ति की असंतुलित अवस्था में संतुलन ला सकते हैं। इसके अलावा प्राणशक्ति के अभाव में यदि कोई रोग उत्पन्न हुआ हो तो जहाँ प्राणशक्ति अतिरिक्त मात्रा में है वहाँ से अतिरिक्त प्राणशक्ति को रूग्न अंग में प्रसारित कर उसकी क्षतिपूर्ति की जा सकती है। शरीर की रक्षा के लिये जिस प्रकार अन्न की उपयोगिता है, शरीरस्थ रोगनाश के लिये जैसे औषधियों का विनियोग होता है, उसी प्रकार शरीरस्थ बाहरी और भीतरी (बाह्याभ्यन्तर)...