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Yoga

Nadi Shodhan Pranayama

प्राणायाम: कथं सिद्ध:?

प्राणशक्ति तथा प्राणायाम की उपयोगिता प्राण ही मनुष्य के स्वास्थ्य एवं रूग्णता का कारण है। शरीर आधार है तथा प्राण उसकी शक्ति। मन एवं शरीर प्राण के बिना नहीं रह सकते। प्राण विद्या के द्वारा प्राणशक्ति को विभाजित कर शरीर के प्रत्येक केन्द्र में उपयुक्त रूप से भेजा जा सकता है। इस विद्या के द्वारा प्राणशक्ति की असंतुलित अवस्था में संतुलन ला सकते हैं। इसके अलावा प्राणशक्ति के अभाव में यदि कोई रोग उत्पन्न हुआ हो तो जहाँ प्राणशक्ति अतिरिक्त मात्रा में है वहाँ से अतिरिक्त प्राणशक्ति को रूग्न अंग में प्रसारित कर उसकी क्षतिपूर्ति की जा सकती है। शरीर की रक्षा के लिये जिस प्रकार अन्न की उपयोगिता है, शरीरस्थ रोगनाश के लिये जैसे औषधियों का विनियोग होता है, उसी प्रकार शरीरस्थ बाहरी और भीतरी (बाह्याभ्यन्तर)...

Children Yoga Classes

आयुष्य मन्दिरम् परिसर में बच्चों के लिए नियमित योग कक्षाएं

अपने बच्चे की एकाग्रता, स्मृति, अनुशासन, दृढ़ संकल्प और मूल्य प्रणाली में सुधार के लिए करें योग की शक्ति का उपयोगबच्चों के लिए योग बच्चों  के लिए डिजाइन किए गए व्यायाम के रूप में योग का एक रूप है। इसमें ताकत, लचीलापन और समन्वय बढ़ाने के लिए आसन शामिल हैं। कक्षाएं मजेदार होने के लिए बनाई गई हैं और इसमें  उम्र के हिसाब से उपयुक्त खेल, जानवरों की आवाजे और आसन के लिए रचनात्मक नाम शामिल हो सकते हैं । बच्चों के लिए हमारे विशेष कार्यक्रम के साथ अपने बच्चे को माइंडफुलनेस से परिचित कराएँ। अपने बच्चे के ध्यान, स्मृति, अनुशासन, दृढ़ संकल्प और मूल्य प्रणाली को बेहतर बनाने के लिए योग की शक्ति का उपयोग करें। बच्चों की योग कक्षाओं में सरल योग आसन और...

mega compititon

आलिया और जय आदित्य ने योग प्रतियोगिता में स्वर्ण और रजत पदक जीता

प्रतियोगिता का परिचय आयुष्य मंदिरम के आलिया अदलखा और जय आदित्य ने हाल ही में आयोजित योग मेगा प्रतियोगिता में शानदार प्रदर्शन किया। इस प्रतियोगिता में 14 राज्यों और 60 स्कूलों के अनगिनत प्रतिभागियों ने भाग लिया। आलिया ने स्वर्ण पदक जीता, जबकि जय ने रजत पदक अपने नाम किया।[caption id="attachment_4743" align="alignleft" width="204"] आलिया अदलखा[/caption] आलिया अदलखा की सफलता आलिया अदलखा ने योग की विभिन्न शैलियों में उत्कृष्टता दिखाई। उनकी मेहनत और लगन ने उन्हें प्रतियोगिता में पहला स्थान दिलाया। आलिया ने अपनी प्रतिभा का परिचय देते हुए यह साबित कर दिया कि वे योग में उच्चतम स्तर तक पहुँच सकती हैं। उनके इस अद्वितीय प्रदर्शन ने न केवल उन्हें स्वर्ण पदक दिलाया, बल्कि उनके विद्यालय का नाम भी रोशन किया।जय आदित्य की मेहनत का फल जय आदित्य ने...

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योग: आयु-आरोग्य-वृद्धि का प्रवेशद्वार

स्वस्थ और खुशहाल जीवन जीवन जीना सिखाता है योग यह योगमार्ग आयु-आरोग्य-वृद्धि का प्रवेश द्वार है और वेदांत मार्ग का गंतव्य स्थान है, जो लोगों को शाश्वत आरोग्य प्रदान करता है और रोग-दोष, जरा-मरण-जैसी आधियों-व्याधियों से सदा के लिए मुक्त करता है। [mkdf_blockquote text="न तस्य रोगो न जरा न मृत्यु: प्राप्तस्य योगाग्निमयं शरीरम्।। (श्वेताश्वतर. 2/12)" title_tag="h5" width=""] आचार्य चरक ने इस बात को विस्तार से बताते हुए कहा है- [mkdf_blockquote text="नारो हिताहारविहारसेवी समीक्ष्यकारी विषयेष्वसक्त:। दाता सम: सत्यपर: क्षमावानप्तोपसेवि च भवत्यरोगः। मतिर्वच: कर्म सुखानुबंधं सत्त्वं विधेयं विशदा च बुद्धि:। ज्ञानं तपस्तत्परता च योगे यस्यास्ति तं नानुपतन्ति रोग:।। (च. शा. 2.46-47) " title_tag="h5" width=""] अर्थात हितकारी आहार-विहार का सेवन करने वाला, विचारपूर्वक काम करने वाला, काम- क्रोधादि विषयों में आसक्त न रहने वाला, सत्य बोलने में तत्पर, सहनशील और आप्त पुरुषों की...

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स्वस्थ रीढ़: स्वस्थ और दीर्घायु जीवन

रीढ़ की मांसपेशियों व कड़ियों को बनाएं लचीला :  विशेष योगिक अभ्यास और सुझाव आज के इस युग में शायद ही कोई व्यक्ति ऐसा हो जिसने कमर के दर्द को अनुभव न किया हो। कमरदर्द कोई रोग नहीं है अपितु इसके होने का कारण हमारी अनियमित दिनचर्या व उठने, बैठने, चलने व काम करने के गलत तरीकों के कारण होता है। जिस प्रकार एक पेड़ का तना जितना सीधा होगा, वह पेड़ और उसकी शाखाएं उतनी ही विकसित होंगी। इसी प्रकार हमारे सम्पूर्ण शरीर का विकास हमारी रीढ़ के ऊपर निर्भर करता है। हमारे शरीर के समस्त अंगों का जुड़ाव रीढ़ से ही है, क्योंकि जितनी हमारी रीढ़ लचीली व सीधी रहेगी, तो उससे जुडे़ समस्त अंगों को रक्त का संचार व प्राणिक ऊर्जा का प्रवाह...

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ध्यान: बाहर से भीतर की यात्रा

ध्यान  क्या है ? जीवन की लय को, जीवन संगीत में बदल देना ध्यान है। यह कोई अतिरिक्त कार्य नहीं, बल्कि जीवन का नियमित कार्य है। इसी से जीवन सुगठित-सुव्यवस्थित एवं प्राकृतिक बनता है। ध्यान सर्वाधिक प्रभावोत्पादक मानसिक तथा तन्त्रिका टाॅनिक है। जिसके द्वारा प्रारम्भ से ही शान्ति और स्थिरता प्राप्त करने में सहायता मिलती है। ध्यान से चंचल इच्छाओं, मन में उठने वाले विचारों तथा संवेगों की प्रतिक्रियाओं से मुक्ति मिलती है। नित्य प्रति ध्यान करने से रक्त में कोलेस्ट्राल कम होता है तथा प्लाज्मा कार्टीसोल का स्तर भी कम होता है। यही दोनों मानसिक उद्विग्नता के लिए उत्तरदायी हैं। इसके अतिरिक्त अनेक जैव-रासायनिक परिवर्तन होते हैं, जो मन को शांत करने में सहायता करते हैं। जैसे-जैसे ध्यान में प्रगति होती है, मानसिक उपद्रवों और...

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