ध्यान: बाहर से भीतर की यात्रा
ध्यान क्या है ? जीवन की लय को, जीवन संगीत में बदल देना ध्यान है। यह कोई अतिरिक्त कार्य नहीं, बल्कि जीवन का नियमित कार्य है। इसी से जीवन सुगठित-सुव्यवस्थित एवं प्राकृतिक बनता है। ध्यान सर्वाधिक प्रभावोत्पादक मानसिक तथा तन्त्रिका टाॅनिक है। जिसके द्वारा प्रारम्भ से ही शान्ति और स्थिरता प्राप्त करने में सहायता मिलती है। ध्यान से चंचल इच्छाओं, मन में उठने वाले विचारों तथा संवेगों की प्रतिक्रियाओं से मुक्ति मिलती है। नित्य प्रति ध्यान करने से रक्त में कोलेस्ट्राल कम होता है तथा प्लाज्मा कार्टीसोल का स्तर भी कम होता है। यही दोनों मानसिक उद्विग्नता के लिए उत्तरदायी हैं। इसके अतिरिक्त अनेक जैव-रासायनिक परिवर्तन होते हैं, जो मन को शांत करने में सहायता करते हैं। जैसे-जैसे ध्यान में प्रगति होती है, मानसिक उपद्रवों और...