कटिचक्रासन (Spinal Twist)– रीढ़ व पेट के लिए अमृत समान
[vc_row][vc_column][vc_column_text css=""] ✍️ आयुष्य मन्दिरम् शिक्षा एवं जागरूकता मिशन श्रृंखला – स्वस्थ जीवन के सूत्र लेखक: योगाचार्य डॉ. जयप्रकाशानन्द [/vc_column_text][/vc_column][/vc_row][vc_row][vc_column][vc_column_text css=""] 🧘♀️ श्लोक व उद्घाटन: "कायस्य स्थैर्यमारोग्यं दीर्घायुष्यमनुत्तमम्। अभ्यासेन सदा योगः कटिचक्रे विधीयते॥"अर्थ: नियमित रूप से कटिचक्रासन का अभ्यास शरीर को स्थिरता, आरोग्यता और दीर्घायु प्रदान करता है। आपको यह भी पढ़ना चाहिए: https://amsite.in/%e0%a4%b8%e0%a5%80%e0%a4%a7%e0%a4%be-%e0%a4%a4%e0%a4%a8-%e0%a4%b8%e0%a5%8d%e0%a4%a5%e0%a4%bf%e0%a4%b0-%e0%a4%ae%e0%a4%a8-%e0%a4%95%e0%a5%8d%e0%a4%af%e0%a5%8b%e0%a4%82-%e0%a4%9c%e0%a4%b0%e0%a5%81/ 🔹 क्या है कटिचक्रासन?‘कटि’ यानी कमर, ‘चक्र’ यानी चक्राकार गति। इस आसन में शरीर को कमर के बल घुमाया जाता है जिससे रीढ़, कमर, पेट, जंघा, एवं गर्दन – सभी अंगों पर सुंदर प्रभाव पड़ता है। यह एक मध्यम श्रेणी का स्थूल व्यायाम और योगासन दोनों का संगम है।✅ विधिपूर्वक अभ्यास विधि (Steps):ताड़ासन की स्थिति में खड़े हो जाएं, दोनों पैरों के बीच लगभग एक फीट की दूरी रखें। दोनों हाथ सामने लाएं, एक हाथ सामने और दूसरा पीछे...