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जब जून की तपती दोपहरी धीरे-धीरे ठंडी फुहारों में बदलने लगती है, तभी आता है — अंतरराष्ट्रीय योग दिवस

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Yoga Day & Mansoon

जब जून की तपती दोपहरी धीरे-धीरे ठंडी फुहारों में बदलने लगती है, तभी आता है — अंतरराष्ट्रीय योग दिवस

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🧘‍♂️ योग दिवस (21 जून) और मानसून का आध्यात्मिक-प्राकृतिक संबंध

जब जून की तपती दोपहरी धीरे-धीरे ठंडी फुहारों में बदलने लगती है, तभी 21 जून आता है-अंतरराष्ट्रीय योग दिवस (International Yoga Day)

आपको यह भी पढ़ना चाहिए: योग दिवस तक-हर दिन एक योग प्रोटोकॉल अभ्यास: आयुष्य मन्दिरम् की एक अनूठी पहल

यह महज़ संयोग नहीं, एक प्राकृतिक एवं आध्यात्मिक संकेत है। जहां एक ओर मानसून धरती को शीतल करता है, वहीं योग आत्मा को। दोनों ही जीवन को पुनः ऊर्जावान बनाने का अवसर हैं।

“जब प्रकृति भी योग करती है…”
मानव जीवन का सबसे घनिष्ठ संबंध प्रकृति से है। जिस प्रकार पृथ्वी वर्षा ऋतु में शुद्ध होती है, उसी प्रकार शरीर-मन का शुद्धिकरण योग और प्राणायाम से संभव है। जब योग दिवस और मानसून एक साथ आते हैं, तब यह केवल एक संयोग नहीं, बल्कि एक गहन प्राकृतिक संकेत है — एक आह्वान, स्वयं के भीतर उतरने का।

☔️ मानसून और शरीर का आंतरिक संतुलन

वर्षा ऋतु में वातावरण में नमी, भारीपन और कफवृद्धि होती है। यह ऋतु शरीर की जठराग्नि को मंद कर सकती है, मन को आलसी बना सकती है, और रोगप्रतिकारक शक्ति को प्रभावित कर सकती है। लेकिन योग हमें वह साधन देता है, जिससे हम इस ऋतु को आरोग्यता और साधना का समय बना सकते हैं।

🔶 योग के लिए मानसून क्यों विशेष है?

  • वातावरण शीतल होता है – जिससे आसनों में स्थिरता आती है।
  • मन अंतर्मुख होता है – जिससे ध्यान और आत्मनिरीक्षण सहज होता है।
  • वृक्ष, जल, मेघ, पृथ्वी – सबमें प्राण लहराता है, जिससे प्रकृति के साथ एकत्व का अनुभव होता है।

🌿 मानसून के अनुकूल योगासन– वर्षा ऋतु के लिए

आसन लाभ

  • वज्रासन-भोजन पचाने हेतु सर्वोत्तम, अपच में राहत
  • त्रिकोणासन-मेरुदंड व कंधों की स्फूर्ति
  • मर्कटासन-रीढ़ की लचीलापन व रक्तसंचार
  • पश्चिमोत्तानासन-जठराग्नि प्रबल करता है
  • सिंहासन-गले, थायरॉइड व आत्मबल में वृद्धि
  • भुजंगासन: रीढ़ व श्वसन के लिए लाभकारी
  • पवनमुक्तासन: वात नाशक और यकृत के लिए उत्तम
  • बालासन: मानसिक विश्रांति और पीठ के तनाव को शांत करता है

🌬️ मानसून में आवश्यक प्राणायाम

मानसून में वायु और जल दोनों में असंतुलन रहता है। ऐसे में निम्न प्राणायाम विशेष लाभकारी हैं:

  • अनुलोम-विलोम-त्रिदोष संतुलन व मानसिक स्थिरता
  • भस्त्रिका-नमी और शारीरिक जड़ता का नाश
  • कपालभाति-श्वसन प्रणाली व यकृत को सक्रिय करता है
  • भ्रामरी: अवसाद व चिंता के लिए
  • उज्जायी: गला व श्वसन प्रणाली हेतु लाभकारी

🧂 आहार, विहार और मानसून जीवनशैली

🌱 आहार:

  • ताजे, गर्म, सुपाच्य पदार्थ
  • त्रिकटु चूर्ण, सौंठ, पिप्पली, हल्दी का प्रयोग
  • खट्टे, तले, व भारी पदार्थों से परहेज

🚶 विहार:

  • हल्का व्यायाम, संयमित दिनचर्या
  • शरीर को अधिक देर तक गीला न रखें
  • सुबह-शाम तिल का तेल या नारियल तेल अभ्यंगम

🧘 आचार विचार:

  • जल्दी उठें, संयम से बोलें, निंदा-ईर्ष्या से बचें
  • स्वयं से संवाद बढ़ाएँ – ध्यान, जप, स्वाध्याय करें
  • वर्षा ऋतु आत्म-विश्लेषण व साधना की ऋतु है
  • परिवार व प्रकृति के प्रति कृतज्ञता का अभ्यास

🔔 आध्यात्मिक संकेत – क्यों मानसून योग का आदर्श काल है?

  • “मानसून में हर प्राणी घर में होता है,
  • लेकिन योगी अपने अंतर में होता है।”

योग केवल शरीर को साधने की प्रक्रिया नहीं है — यह ब्रह्मांडीय लय के साथ अपने जीवन को साधने की कला है। जब आकाश से वर्षा गिरती है, तब हृदय के भीतर भी कुछ बहता है। यह वह समय है जब ध्यान की गहराई स्वतः संभव होती है।

✨ योग दिवस पर संकल्प लें

इस योग दिवस पर केवल आसनों तक सीमित न रहें। प्रकृति से जुड़े, शरीर की ऋतुओं को समझें, और वर्षा की हर बूँद को आत्मिक ऊर्जा में बदलने दें। इस योग दिवस पर हम सब एक प्राकृतिक अनुशासन का व्रत लें —“मैं इस वर्षा ऋतु को अपने लिए एक तप-ऋतु बनाऊँगा –योग, आहार, प्राणायाम, ध्यान और प्रकृति से जुड़ाव की ऋतु।”

🙏 समापन

मानसून हमें धैर्य सिखाता है, समर्पण सिखाता है, और योग हमें वह शक्ति देता है जिससे हम शरीर और आत्मा को वर्षा की ताजगी की तरह शुद्ध कर सकें। मानसून के हर कण में योग है — शीतलता, धैर्य, नमी और भीतर बहने वाली ऊर्जा। बस सुनना सीखें।

आइए, इस योग दिवस पर अपने भीतर भी एक मानसून लाएँ — साधना, सेवा और संयम का मानसून।

✍️ लेखक परिचय

आचार्य डॉ. जयप्रकाशानन्द

आचार्य डॉ. जयप्रकाशानन्द
(योग एवं प्राकृतिक चिकित्सक)
संस्थापक: आयुष्य मन्दिरम्
प्रधान सम्पादक: द वैदिक टाइम्स समाचार पत्र

पिछले 22 वर्षों से वैदिक चिकित्सा पद्धतियों — योग, आयुर्वेद, प्राकृतिक चिकित्सा, ज्योतिष, वैदिक गणित आदि — के सतत प्रचार-प्रसार में संलग्न एक समर्पित साधक।

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    इस योजना के अंतर्गत आप पाएंगे आयुष्य मन्दिरम् द्वारा प्रकाशित विशेष ब्लॉग, आरोग्य सूत्र, योग, प्राकृतिक चिकित्सा, और रंग चिकित्सा पर शोध लेख। यह प्लान विशेष रूप से योग प्रेमियों और स्वास्थ्य साधकों के लिए है।

AM

Comment

  • Dr. Ruchika
    June 17, 2025 at 5:11 pm

    आपकी वेबसाइट पर बहुत अच्छी जानकारी दी जाती है।👌👍🙏

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