
योग: मोक्ष की ओर यात्रा – धर्म, आरोग्य और आत्मबोध का वैदिक पथ
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🔸 योग केवल व्यायाम नहीं; ‘मोक्ष का पथ’ भी
योग केवल व्यायाम नहीं है। यह भारत की हजारों वर्षों पुरानी जीवनशैली है, जो तन, मन और आत्मा — तीनों को संतुलित करती है।
हमारे ऋषियों ने इसे ‘मोक्ष का पथ’ कहा — जहाँ जीवन के चार पुरुषार्थ (धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष) का मूल आधार है ‘आरोग्य’।
“धर्मार्थकाममोक्षाणामारोग्यं मूलमुत्तमम्” – च.सं.
जिस शरीर में रोग नहीं है, वही जीवन में आगे बढ़ सकता है, चाहे वह भक्ति हो, सेवा हो या ज्ञान की खोज।
🔸 शुद्ध सत्त्व में स्थित होना ही योग
1. 🧘♂️ योग: केवल आसन नहीं, एक आध्यात्मिक अनुशासन
योग के आठ अंग – यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि – हमें जीवन की ऊँचाइयों तक ले जाने का क्रम हैं।
आसन और प्राणायाम केवल तैयारी हैं। लक्ष्य है — आत्मा का ब्रह्म से योग।
2. 🕉️ योग और वैदिक चिकित्सा – आयुर्वेद का दृष्टिकोण
आयुर्वेद कहता है —
“योगे मोक्षे च सर्वासां वेदनानाम निवृत्तिः।”
(च. सं. शारीर स्थान)
योग शरीर को शुद्ध करता है, मन को स्थिर करता है और प्रज्ञा को प्रकाशित करता है।
शुद्ध सत्त्व से ही मेधा, प्रज्ञा और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
3. 🔥 रज-तम से ऊपर उठकर शुद्ध सत्त्व में स्थित होना ही योग है
“मोक्षो रजस्तमोऽभावाद् बलवत्कर्मसंक्षयात्।” – च.सं.
जब मन रज और तम से रहित हो जाता है, तो हम आत्मा के शुद्ध स्वरूप में स्थित होते हैं।
यह स्थिति ही जीवन्मुक्ति की ओर ले जाती है।
🔸 योग केवल अभ्यास नहीं, चेतना का अनुशासन
“नात्मनः स करणाभावाल्लिङ्गमप्युपलभ्यते।
सर्वकरणायोगान्मुक्त इत्यभिधीयते॥” – च.सं.
योग की चरम अवस्था में जब इन्द्रियाँ, मन और बुद्धि – सब निस्पंद हो जाते हैं, तब आत्मा अपने शुद्ध स्वरूप में स्थिर हो जाती है।
यही निवृत्ति, यही मोक्ष, और यही योग का परम फल है।
योग केवल अभ्यास नहीं, चेतना का अनुशासन है —
जहाँ विराग, ज्ञान और आत्मसाक्षात्कार के द्वारा व्यक्ति शरीर, मन और संसार के पार जाकर परम शांति में स्थित होता है।
🔸 निष्कर्ष :
योग हमारे भीतर की उस दिव्यता को प्रकट करता है जो हमें स्वयं से, ब्रह्मांड से और परमात्मा से जोड़ती है।
आज योगदिवस और हर दिन, हमें यह स्मरण रखना चाहिए —
🌿 “योगः कर्मसु कौशलम्।”
🌼 “शरीरमाद्यं खलु धर्मसाधनम्।”
🔥 “योगेन चित्तस्य पदेन वाचां…” – पतंजलि
योग अपनाइए — आरोग्य, आत्मबोध और आत्म-उद्धार के लिए।
🟢 लेखक परिचय:
आचार्य डॉ. जयप्रकाशानन्द
(योग एवं प्राकृतिक चिकित्सक)
संस्थापक – आयुष्य मन्दिरम्
प्रधान सम्पादक – द वैदिक टाइम्स समाचार पत्र
22 वर्षों से योग, आयुर्वेद, प्राकृतिक चिकित्सा, और वैदिक जीवनदर्शन के प्रचारक।