— श्रीमद्भगवद्गीता (अध्याय 2, श्लोक 50)
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Meaning: “Yoga is excellence in action.”
यह श्लोक हमें सिखाता है कि योग केवल आसनों और प्राणायाम तक सीमित नहीं है, बल्कि यह जीवन की प्रत्येक क्रिया में सजगता और दक्षता लाने की कला है। जब हम किसी भी कार्य को पूरे मन, आत्मा और चेतना के साथ करते हैं, तो वही योग बन जाता है। यही योग का व्यापक दृष्टिकोण है।