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मिट्टी चिकित्सा

Ayushya Mandiram / Alternative Therapies  / मिट्टी चिकित्सा

मिट्टी चिकित्सा

पंच भूतात्मक शरीर में मिट्टी (पृथ्वी तत्व)-की प्रधानता है। मिट्टी हमारे शरीर के विषों, विकल्पों, विकारों, विजातीय पदार्थों को बाहर निकालती है। हाँ प्रबल कीटाणुनाशक है। मिट्टी विश्व की महानतम औषधि है।

मिट्टी चिकित्सा के प्रकार

मिट्टीयुक्त जमीन पर नंगे पैर चलना-

  • स्वच्छ जमीन पर, बालू, मिट्टी या हरी दूब पर प्रात:-सांय भ्रमण करने से जीवनीशक्ति बढ़कर अनेक रोगों से लड़ने की क्षमता प्रदान करती है।
  • नंगे पैर चलने से नेत्र ज्योति बढ़ती है।
  • नंगे पैर पृथ्वी के सम्पर्क में रहने से पैर मजबूत, स्वस्थ,सुडौल एवं रक्त संचरण बराबर होने से उनमे से गन्दगी एवं दुर्गन्ध निकल जाती है एवं बिबाई भी नहीं पड़ती।
  • पाचन संस्थान सबल होता है एवं उच्च रक्तचाप व शरीर के बहुत सारे रोग आश्चर्यजनक रूप से दूर हो जाते हैं।
  • सिरदर्द, गले की सूजन, जुकाम, पैरों और सिर का ठण्डा रहना आदि रोग दूर हो जाते हैं।

मिट्टी के बिस्तर पर सोना-इसके लिए सीधे धरती पर या पलंग पर आठ से बारह इंच तक मोटी समतल बालु बिछाकर सोना चाहिए। शुरुआत में थोड़ी असहजता महसूस होती है, परन्तु रोजाना यह अभ्यास करने से धीरे-धीरे आदत पड़ जाती है। धरती पर सीधे लेटकर सोने से शरीर पर गुरुत्वाकर्षण-शक्ति शून्य हो जाती है। स्नायविक दुर्बलता, अवसाद, तनाव, अहंकार की भावना दूर होकर नयी ऊर्जा एवं प्राण शरीर में प्रविष्ट हो जाते हैं।

सर्वांग में गीली मिटटी का लेप-सबसे पहले साफ जगह की चिकनी मिटटी लाकर उसे चार-छह घंटे सूरज की धूप में डाल देना चाहिए, फिर उसे छानकर कंकड-पत्थर रहित करके शुद्ध जल में बारह घंटे के लिए भिगो देना चाहिए। उसके बाद उसकी घुटाई करके मक्खन जैसा लोई बनाकर पूरे शरीर पर इस मुलायम मिट्टी को आधा सेंटीमीटर मोटी परत के रूप में पेट, पैर, रीढ़, गर्दन, चेहरा, जननांगों और सिर पर लेप करें । इसके बाद 45 मिनट से एक घंटा तक धूप-स्नान ले। मिट्टी सूखने से त्वचा में खिंचाव होने से वहां का व्यायाम होता है और रक्त संचार तीव्र होकर पोषण मिलता है। धूप-स्नान से मिटटी को पूर्णत: सुखकर भलीभाँति स्नान करके विश्राम करें।

आपको यह भी पढ़ना चाहिए : मिट्टी चिकित्सा के माध्यम से अपने शरीर और मन को पोषित करें!

मिट्टी के गुण-लाभ

  • किसी भी तरह की दुर्गन्ध को मिटाने के लिये मिट्टी से बढ़कर संसार मे अन्य कोई दुर्गन्धनाशक वस्तु नही है।
  • मिट्टी में सर्दी और गर्मी रोकने की क्षमता है इसीलिए सर्दी-गर्मी दोनो मौसम में मिट्टी से बने घर अरामदायक सिद्ध होते हैं । इसी गुण के कारण यह विभिन्न रोगों में अपना अच्छा प्रभाव छोडती है ।
  • मिट्टी में विद्रावक शक्ति अचूक होती है । बडे से बडे फोडे़ पर मिट्टी की पट्टी चढ़ाने से, विद्रावक शक्ति के कारण वह उसे पकाकर निचोड़ देती है एवं घाव भी बहुत जल्दी भर देती है ।
  • मिट्टी मे विष को शोषित करने की विलक्षण शक्ति होती है । सांप,बिच्छू, कैंसर तक के जहर को खींचकर(सोखकर) कुछ ही दिनों में ठीक कर देती है ।
  • मिट्टी में जल को शुद्ध करने की शक्ति निहित है। जल शोधक कारखानों में गन्दे दूषित जल को मिट्टी के संयोग से कई चरणों में छानकर निर्मल एवं पीने योग्य बनाया जाता है।
  • मिट्टी में रोग दूर करने अपूर्व शक्ति है क्योंकि मिट्टी में जगत की समस्त वस्तुओं का एक साथ रासायनिक सम्मिश्रण सर्वाधिक विद्यमान है जबकि किसी एक दवा या कई दवाओं के मिक्सचर में उतना रासायनिक सम्मिश्रण सम्भव नही हो सकता।
  • अग्नि, वायु, जल के वेग को रोकने की क्षमता मिट्टी में निहित हैं।
  • मिट्टी में चूसने की शक्ति निहित है अतः वह शरीर से विष को चूस लेती है।
  • शरीर की बहुत सारी पीड़ाएं तो मिट्टी के प्रयोग के कुछ ही क्षणों बाद शांत हो जाती हैं।
  • सब्र संयम एवं विश्वास के साथ मिट्टी चिकित्सा की जाए तो जटिल रोग भी निश्चित ही चले जाते हैं।
  • मिट्टी के प्रयोग से बड़े से बड़ा घाव भी ठीक हो जाता है। रोग चाहें शरीर के बाहर हो या भीतर मिट्टी उसके विष एवं गर्मी को चूसकर उसे जड़ से नष्ट कर देती है।

 

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