
कॉमन योग प्रोटोकॉल : वृक्षासन
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🌳 आज का आसन: वृक्षासन (Tree Pose)
📅 अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस प्रोटोकॉल – आसन संख्या 2
लेख श्रृंखला: योग से जुड़े, स्वास्थ्य से जुड़े | आयुष्य मन्दिरम् द्वारा प्रस्तुत
🌿 वृक्षासन का परिचय (Tree Pose)
वृक्ष का अर्थ है पेड़ और आसन का अर्थ है शारीरिक स्थिति।
इस आसन में शरीर की मुद्रा एक स्थिर वृक्ष की तरह होती है – संतुलित, स्थिर और केंद्रित।
इसलिए इस आसन को “वृक्षासन” कहा जाता है।
🧘♂️ वृक्षासन की अभ्यास विधि
- दोनों पैरों के बीच में 2–3 इंच का अंतर रखते हुए सीधे खड़े हो जाएं।
- श्वास छोड़ते हुए धीरे-धीरे दाएं पैर को उठाएं और पंजे को बाएं पैर की अंदरूनी जांघ पर रखें।
(ध्यान दें: एड़ी मूलाधार क्षेत्र को स्पर्श करे) - अब श्वास भरते हुए दोनों हाथों को सिर के ऊपर ले जाएं और हथेलियों को जोड़ लें।
- इस स्थिति में 15–20 सेकंड तक रहें और श्वास-प्रश्वास सामान्य रखें।
- फिर श्वास छोड़ते हुए हाथों और पैर को पूर्व अवस्था में लाएं।
- अब यही प्रक्रिया बाएं पैर से दोहराएं।
⚠️ किसे नहीं करना चाहिए?
- घुटनों में दर्द या अर्थराइटिस हो
- उच्च रक्तचाप या हृदय रोग हो
- माइग्रेन, वर्टिगो या शरीर में अत्यधिक कंपन हो
📝 अभ्यास करते समय ध्यान रखें
- प्रारंभ में दीवार या किसी साथी का सहारा लें।
- दोनों हाथों को प्रार्थना मुद्रा में भी रख सकते हैं।
- दृष्टि को सामने किसी निश्चित बिंदु पर केंद्रित करें – इससे संतुलन बेहतर होगा।
✅ वृक्षासन के लाभ
- शरीर के कंपन को कम करता है, विशेषकर वृद्धावस्था में।
- शरीर और मन के बीच संतुलन को स्थापित करता है।
- Knock Knees जैसी स्थिति में सुधार करता है।
- स्नायविक समन्वय को बढ़ाता है।
- एकाग्रता, जागरूकता और सहनशीलता को बढ़ाता है।
- पैरों की मांसपेशियों को मजबूत बनाता है।
🌟 विशेष सुझाव
वृक्षासन का अभ्यास योग प्रशिक्षक की देखरेख में ही करें, विशेषकर यदि आप शुरुआती हैं।
❓ क्या आप जानते हैं?
वृक्षासन पारंपरिक योग का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो हमें शक्ति, स्थिरता और संतुलन की ओर प्रेरित करता है। यह न केवल शरीर को केंद्रित करता है, बल्कि मन को भी शांत और स्थिर करता है।
📌 अगले लेख में जानें तीसरा आसन – हर दिन एक नया अभ्यास, एक नया अनुभव।
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✍️ लेखक परिचय:
डा. धर्मवीर योगाचार्य
असिस्टेंट प्रोफेसर – योग विभाग, इंदिरा गांधी विश्वविद्यालय, मीरपुर (रेवाड़ी)
10+ वर्षों से योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा जागरूकता में संलग्न हैं। आपने हजारों लोगों को आरोग्य जीवनशैली अपनाने हेतु प्रशिक्षित किया है। आपकी लेखनी पारंपरिक योग और आधुनिक दृष्टिकोण का समन्वय प्रस्तुत करती है।
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Comments:
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Sonam
June 5, 2025 at 5:40 pmबहुत बहुत धन्यवाद गुरु जी 🌸🙏
Sanjana
June 5, 2025 at 5:42 pmThanku so much sir
Sanjana
June 5, 2025 at 5:43 pmबहुत बहुत धन्यवाद गुरू जी 🙏
Nishu
June 5, 2025 at 10:26 pmThanku so much guru ji 🙏🙏